गीत : नागेश पांडेय 'संजय'
बिना तुम्हारे साथी हर अभियान अधूरा है.
आज शोभते राजमार्ग, थीं जहाँ कभी पथरीली राहें,
किन्तु चहकती चौपाटी पर जागा हुआ प्रेम रोता है. आज नयन में सिर्फ बेबसी और ह्रदय में ठंडी आहें,
एक मुसाफिर थका-थका-सा , यादों की गठरी ढोता है.
पागल, प्रेमी और अनमना : अब जग चाहे जो भी कह ले,
बिना तुम्हारे साथी हर उपमान अधूरा है.
बिना तुम्हारे साथी हर अभियान अधूरा है.
कहने को तो विजय चूमती पग-पग पर अब चरण हमारे,
सुयश धरा से नीलगगन तक कीर्ति-कथा को दुहराता है.
बनने को खुद ही उत्सुक अब सुखद लक्ष्य आभरण हमारे,
वैभव मुझे पूज्य कह खुद ही मेरी और बढ़ा आता है.
पर मुझको मेरा यह स्वागत, एक छलावा-सा लगता है,
बिना तुम्हारे साथी हर सम्मान अधूरा है.
बिना तुम्हारे साथी हर अभियान अधूरा है.
बहुत बढिया!
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंजिँदगी मेँ एक सच्चे हमदम की जरूरत सदा रहती है।
जवाब देंहटाएं।।।।।।
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।।।।
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वाह नागेश जी , एक बाल साहित्यकार का यह सृजन भी कम अच्छा नही है ।
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