बाल कविता :नागेश पांडेय 'संजय'
पापा जी का कंप्यूटर है
जादू भरा पिटारा
इसमें हाथी, इसमें घोड़ा
इसमें भालू बंदर।
इसमें गेम अनोखे कितने
मैजिक इसके अंदरं
आन करो इंटरनेट, होगा
मुटठी में जग सारा।
जोड़, घटाना, गुणा, भाग सब
पलक झपकते कर लो।
मेमोरी के क्या कहने जी
जितना चाहे भर लो।
थकने का ता काम नहीं है
पहलवान यह ‘दारा‘।
पिक्चर बुक का क्या कहना जी
जमकर चि़त्र बनाओ।
गाने सुनो फिल्म भी देखो,
जी भर जी बहलाओ।
मैगजीन भी पढ़ो इसी पर,
सच्चा दोस्त तुम्हारा।
पापा जी का कंप्यूटर है
जादू भरा पिटारा
9 टिप्पणियां:
भाई नागेश जी,
बहुत प्यारा और अच्छा बालगीत।बच्चे इसे बहुत पसंद करेंगे।
हेमन्त कुमार
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज रविवार (21-07-2013) को चन्द्रमा सा रूप मेरा : चर्चामंच - 1313 पर "मयंक का कोना" में भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
bahut pyaara balgeet
bahut pyara bal geet
bahut pyara bal geet
Beautiful Poem
वाकई जादू का पिटारा है कंप्यूटर तो ....
कल 06/10/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!
यात्राओं में रहने से विलम्ब से आप सभी को आभार व्यक्त कर रहा हूँ. स्नेह भाव बनाये रखें.धन्यवाद .
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