धम्मक धम्मक हाथी देखा , देखा घोडा सरपट .
देखा अजगर खूब बड़ा सा , बदल रहा था करवट .
आगे शेर बबर देखा तो कांप उठे सब थर थर थर .
सुनो ...
देखा एक जिराफ मजे से हरी पत्तियां खाता .
मगरमच्छ था पड़ा हुआ नकली आंसू ढुलकाता .
घोड़े जैसा लगा जेब्रा खूब धारिया थी उस पर .
सुनो..
हिरन कुलाचे भरते देखा और मोर उड़ता था .
भारी भरकम गेंडा देखा इधर उधर मुड़ता था .
कंगारू के क्या कहने जी भारी देह जरा सा सर .
सुनो..
रंग बिरंगी चिड़ियाँ देखी , देखे हरियल तोते .
उछल रहे खरगोश मछलिया लगा रही थी गोते .
देख तेंदुए को घबडाए घूर रहा था वो कसकर .
सुनो ..
बाघ, भेड़िया और लोमड़ी देख देख हर्षाये ,
पर देखा जब हुक्कू बन्दर फूले नहीं समाये .
मजा आ गया उसके संग में हुक्कू हुक्कू दोहराकर .
सुनो ...
3 टिप्पणियां:
सैर अच्छी लगी
kavita ke kya kahne. Badhai
Nice.
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