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डॉ. नागेश पांडेय 'संजय' के बालसाहित्य का अनोखा संसार
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मंगलवार, 16 नवंबर 2010
दूध का कमाल (शिशुगीत)
शिशुगीत: नागेश पांडेय 'संजय'
पीकर गरम गरम दुद्धू ,
बुद्धू नहीं रहा बुद्धू .
खुले अकल के ताले सब,
नहीं अकल के लाले अब .
सुनकर अब अटपटे सबाल ,
खड़े न होते सिर के बाल .
हर जबाब अब उसके पास ,
सब उससे कहते शाबाश .
1 टिप्पणी:
Kailash Sharma
ने कहा…
बहुत प्यारा शिशु गीत।
8 सितंबर 2011 को 8:05 pm
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1 टिप्पणी:
बहुत प्यारा शिशु गीत।
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