कैसी-कैसी बातें। अच्छी बातें - गंदी बातें, महंगी बातें-मंदी बातें, खट्टी बातें, मीठी बातें, चिकनी जैसे घी की बातें फीकी कभी चटपटी बातें उल्टी कभी अटपटी बातें समझ न आता है बातों की - आखिर कितनी जातें। बातें, बातें, बातें! कभी हर्ष का बिगुल बजातीं कभी कष्ट उर को पहुंचातीं कभी हंसाती कभी रुलातीं प्यार भरा अमृत छलकातीं कभी शांत, स्तब्ध करातीं कुछ कर जाने को उकसातीं इनकी कारगुजारी की हम थाह कभी ना पाते। बातें, बातें, बातें! बातें मेल-जोल करवाएं बातें बिछड़े दोस्त मिलाएं। बातें आपस में ठनकाएं बातें ही विद्रोह कराएं। बातें मन में घर कर जाएं सब चहके वह रंग जमाएं। बातों की बातें करके हम फूले नहीं समाते। बातें, बातें, बातें! |
गुरुवार, 31 मार्च 2011
बातें
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5 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर कविता ....
बहुत सुंदर
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बढ़िया बात!
सबकी ख़ुशी के लिए --
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जीत गई लविज़ा
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सबको बधाई!
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वाह ! बहुत ही प्यारी कविता . सलोनी का फोटो सुन्दर लग रहा है . धन्यवाद .
http://shayaridays.blogspot.com
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