उसे 
उत्कर्ष देना तुम .
जानता हूँ 
उसे तुमने ही
बनाया है ,
पर  उसे 
तुमसे हमेशा 
श्रेष्ठ  पाया  है . 
मुझे इस
अनुराग की 
जो भी सजा  देना , 
किन्तु उसको 
मत कभी 
संघर्ष देना तुम . 
न धन , 
जीवन की मगर - 
मन संगिनी है वह . 
द्रष्टि में मेरी
सदा
पूर्णागिनी है वह .
मुझे तो 
जग के भले सब 
कष्ट दे देना .
किन्तु जब
देना उसे
बस हर्ष देना तुम . 
सहज है,
भावुक बहुत है
आत्मीया  है .  
सौख्यदा , 
सौभाग्यदा है , 
वन्दनीया  है . 
चाहता हूँ 
सदा उसका 
मानवर्धन हो ,
मुझ अकिंचन 
को भले 
अपकर्ष देना तुम . 

 
 
बढ़िया अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंSundar bhavon ki shandar abhivyakti.
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