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बुधवार, 17 अगस्त 2011

अब क्या कहें हम(गीत)-डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'

गीत : नागेश पांडेय 'संजय '
चित्रांकन : डा. रामेश्वर वर्मा 
आपसे अब क्या कहें  हम 
यही बेहतर, चुप रहे हम !

कुछ कदम बस साथ चलकर,
रास्ते बँट जाएँगे।
तुम कहाँ जाओगे साथी!
हम कहाँ रह जाएँगे।
हैं अलग मंजिल हमारी,
भावना में मत बहें हम!

सच कहूँ तो बिछड़ने की
बात मुझको सालती है,
जिंदगी भर के लिए डर-सा
हृदय में पालती है।
दर्द ये हमने बढ़ाए,
दर्द अब खुद ही सहे हम!

जानता हूँ नेह-पथ पर
सभी सुख पाते कहाँ हैं!
जिंदगी है गीत, उसको
सभी गा पाते कहाँ हैं !
पर करें कोशिश, निभाएँ
बने रिश्ते अनकहे हम!

1 टिप्पणी:

  1. जानता हूँ नेह-पथ पर
    सभी सुख पाते कहाँ हैं!
    जिंदगी है गीत, उसको
    सभी गा पाते कहाँ हैं !
    पर करें कोशिश, निभाएँ
    बने रिश्ते अनकहे हम!.....बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....आभार

    जवाब देंहटाएं

भावों की माला गूँथ सकें,
वह कला कहाँ !
वह ज्ञान कहाँ !
व्यक्तित्व आपका है विराट्,
कर सकते हम
सम्मान कहाँ।
उर के उदगारों का पराग,
जैसा है-जो है
अर्पित है।