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गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

इतना अधिकार मुझे दो

गीत : नागेश पांडेय 'संजय' 
स्मृतियों में  सदा रहोगे,
बस, इतना अधिकार मुझे दो,
बाकी जिस पथ पर तुम चाहो
जा सकते हो, जाओ साथी!

मैं हूँ कौन, तुम्हें जो रोकूँ ?
मैं हूँ कौन, तुम्हे जो टोकूँ ?
मैं यथार्थ को समझ रहा हूँ,
इसीलिए बस, हार मुझे दो,
और कहर भी यदि तुम चाहो
ढा सकते हो, ढाओ साथी!

पाकर खोना भी पड़ता है,
जीवन ढोना भी पड़ता है,
मैं इसका पर्याय रहा हूँ,
इसीलिए मत प्यार मुझे दो
लेकिन सपनों में तो मेरे
आ सकते हो, आओ साथी।

मत तुम मेरा साथ निभाओ,
तुम तो मेरा पथ बन जाओ,
मैं चलने में कुशल बहुत हूँ ,
नहीं तृप्ति की धार मुझे दो,
अधरों पर यदि और प्यास तुम
ला सकते हो, लाओ साथी!

2 टिप्‍पणियां:

भावों की माला गूँथ सकें,
वह कला कहाँ !
वह ज्ञान कहाँ !
व्यक्तित्व आपका है विराट्,
कर सकते हम
सम्मान कहाँ।
उर के उदगारों का पराग,
जैसा है-जो है
अर्पित है।